बुधवार, 3 मई 2017

शिक्षा विभाग एक उपेक्षित विभाग



एक बार एक प्रदेश के मुख्यमंत्री जी और विपक्ष के नेता साथ साथ दौरे पर निकले ।
पहले एक जेल पड़ी, उसका मुआयना किया और जेलर से पूछा कितनी ग्रांट चाहिए ?

जेलर- कुछ विशेष नहीं सब ठीक चल रहा है...

मुख्यमंत्री जी- फिर भी....?

जेलर- आप देना ही चाहते है तो 5 लाख रुपया दे दीजिए |

(P.A ने नोट किया.)

आगे बढ़े तो एक स्कूल पड़ा..

वहाँ जा कर प्रिन्सिपल से भी वही बात पूछी...

प्रिन्सिपल लगे रोने और कहा कि...
सर ना तो स्टाफ़ है,
विद्यालय भवन जर्जर है,
ना फ़र्निचर और
ना लैब में समान है....!!!

मुख्यमंत्री जी ने डाँटा रोवो मत बताओ कितनी ग्रांट चाहिए...?

प्रिन्सिपल - कम से कम 50 लाख |

(P.A ने नोट किया.)

दोनो राजधानी वापस आ गये |

अगले दिन मुख्यमंत्री जी ने जेल को 50 लाख और स्कूल को 5 लाख जारी कर दिया इस पर विपक्ष के नेता ने नाराज़ होते हुए कहा की आपने तो उलटा कर दिया |

तब मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर तुम्हारे पास इतनी ही अक़्ल होती तो तुम आज मेरी कुर्सी पर होते |

विपक्ष के नेता - मतलब....?


मुख्यमंत्री जी - अरे यार.....

स्कूल ना हमको जाना है, ना तुमको जाना है.
जेल हमको भी जाना है, जेल तुमको भी जाना है.....!!!

"शिक्षा विभाग एक उपेक्षित विभाग"
(एक व्यंग मात्र)

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