घर की इज्जत बाहर न जाए,
शौंचालय घर में ही बनवाए ||
सुखीराम अब छोडो झाड़ी,
शौंचालय बनवा डालो पिछवाड़ी ||
माँ बहनों को होगी तभी सुविधा,
जब शौंच जाने में ना हो कोई दुविधा ||
लाइन किनारे बैठी चाची,
ट्रेन आई तो उठी हगासी ||
घर में जो शौंचालय बनवाए,
माँ बहनों की लाज बचाए ||
बेटी ब्याहो उस घर में,
शौंचालय हो जिस घर में ||
बहुत हो चुका अब ना करेंगे,
खुले में शौंच को बंद करेंगे ||
भैया भाभी शर्म करो,
खुले में हगना बंद करो ||
आँखों से हटाओ पटटी,
खुले में न जाओ टटटी ||
लोटा बोतल बंद करो,
शौचालय का प्रबन्ध करों ||
खुले में शौच,
पिछड़ी हुर्इ सोच ||
खुले में शौच,
जल्दी मौत ||
मेरी बहना मेरी माँ,
खुले में जाना ना ना ना…. ||
शौचालय का करो प्रयोग,
स्वच्छ रहो और बनो निरोग ||
मेरा सपना, घर परिवार का सपना,
शौचालय उपयोग ही, सम्मान है अपना ||
मेरा सपना, घर परिवार का सपना,
शौचालय उपयोग ही, सम्मान है अपना ||
शौचालय अभियान के नारे
4/
5
Oleh
Harshit
2 comments
Swaachh भारत
Replyस्वस्थ भारत
Swaachh भारत
Replyस्वस्थ भारत