शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

 अगर आप स्कूल सही समय पर जाने के लिए चिंतित नहीं है...अगर आपको मॉर्निंग असेम्बली में जाना बोरियत भरा लगता है...अगर आप बालको को संबोधित करने में कतराते हैं...अगर आपको कक्षाओं में जाना मजबूरी सा लगता है...अगर आप अपने हिस्से में ज्यादा कालांश आने पर तर्क और विरोध करते है...अगर आप अगले दिन की विद्यालय की गतिविधियों को लेकर उत्साहित नही हैं..अगर आप स्कूल के कामों को ये कह कर टाल देते है की ये काम मेरा नही है ..ये मेरा प्रभार नही है...
           
*अगर आपका उद्देश्य सिर्फ वेतन के लिए उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करना है..अगर आप कक्षा कक्ष से अधिक स्टाफ रूम व अन्य जगहों पर बैठे पाए जाते हैं..*

अगर आप बालको के चरित्र निर्माण में कोई योगदान नहीं देते..अगर आप स्कूल लेट आना तो पसंद करते हैं लेकिन स्कूल समय के अतिरिक्त रुकना नियम विरुद्ध मानते हैं...अगर आप स्कूल के धन, संसाधन से कुछ हिस्सा अपने लिए बरतना चाहते हैं..

*अगर आप बालकों को पढ़ाने के बजाय स्टाफ गुटबंदी व वाहियात वाद विवाद का हिस्सा बनते है...अगर आप बालकों को किताबी और जीवन का व्यवहारिक ज्ञान देने के बजाय साम्प्रदायिक,राजनीतिक,जातीय व गैर जरूरी ज्ञान पर फोकस करते हैं... अगर आपके लिए बालक का जीवन निर्माण सर्वोपरि नहीं है..अगर आप हमेशा वेतन गणना व स्वयं के वेतन को लेकर चिंतित रहते है..और स्कूल की समस्याओं को संस्था प्रधान की निजी समस्या मान कर सन्तुष्टि धारण कर लेते हैं....अगर आप विद्यालयी व्यवस्था में सहयोग नहीं करते हैं....*

*अगर आप विद्यालय समय में वो सारे काम करते है जिनके लिए आपकी नियुक्ति नहीं हुई...तो यकीन मानिए आप शिक्षक  हैं ही नहीं...आप सिर्फ पैसा कमा रहे है और वो भी गलत तरीके से..*

*आगे इस बात के लिए भी निश्चिंत रहिए कि यदि इस दुनिया के परे कोई अन्य समानांतर दुनिया है जहां आपके कर्मों के हिसाब से निर्णय लिए जाते है ....तो आप निःसंदेह दंड के भागी होंगे...आप वही काटेंगे जो आपने बोया है....*

*चन्द्र जीत सिंह*(स.अ.)
 *प्र.वि. गढ़वा-सिलमी*
*विजयीपुर-फतेहपुर*

सम्बंधित लेख

4/ 5
Oleh