आज सुबह मैं जब 40 किलोमीटर बाइक चलाने के बाद विद्यालय पहुंचा तो देखा इंचार्ज प्रधानाध्यापिका बाहर खड़ी थीं, मैं अभी दूर ही था , मुझे लगा शायद आज घर चाबी भूल गयी होंगी | जब मैंने बाइक खड़ी की और कार्यालय की ओर बढ़ा तो जो देखा उसे देखकर मन एकदम खिन्न हो गया |
पहले तो लोग विद्यालय प्रांगण(परिसर) में शौंच कर जाते थे पर आज तो हद्द ही हो गयी, विद्यालय के कार्यालय के सामने- दोनों किवाड़ों के बीचो बींच |
मन में आया ग्राम प्रधान को बुलाकर इस कृत्य को दिखाऊ, NPRC और ABSA महोदय से शिकायत करू , फिर एकाएक लगा कि यह इस समस्या का हल नहीं है, क्योकि जिसने भी ऐसा किया है जानबूझकर
परेशान करने के उद्देश्य से किया है |
खैर धन्य हैं वो सफाई कर्मी जो हमारे बीच ही रहकर हमारी गन्दगी साफ़ करते हैं |
जब इस सम्बन्ध में मैंने अन्य शिक्षकों से बात की तो जो जवाब मिले वो सच में डराने वाले थे -
- ये तो कुछ भी नहीं है सर जी हमारे विद्यालय में तो लगातार 3 दिनों तक कुछ शरारती तत्व चारो दरवाजो के सामने शौंच कर गए थे |
- ये तो सच में डराने वाला था - सर जी हम बहुत परेशान हैं हमारे यहाँ कुछ लड़के नल और तालो में मल लगा जाते हैं ताकि शिक्षक ताला ही ना खोल सके |
फिर सोंचा इस समस्या का समाधान क्या हो सकता है ?
- चहार दीवारी - उपरोक्त घटनाएं जहाँ की हैं उन विद्यालयों में बाउंड्री मौजूद है, ऐसे कृत्य छोटे बालको द्वारा नहीं किये जाते की बाउंड्री उन्हें रोक सके, ये कुछ बेरोजगार, अशिक्षित, और विकृत मानसिकता के लोग हैं जिनका सबसे अच्छा टाइम पास है दूसरों कों परेशान करना |
- शिकायत- यदि इन्हें ग्राम प्रधान, NPRC, ABSA आदि का भय होता तो ये ऐसा करते ही क्यो, उलटा शिकायत करने पर ऐसी घटनाए और जोर पकड़ सकती है|
- निष्क्रिय रहिए - मेरे हिसाब से यह विकल्प सर्वोत्तम है, ऐसे तत्व तभी तक गतिविधि करते हैं जब तक उन्हें प्रत्योत्तर मिलता है, कोई उत्तर ना मिलने पर वे स्वयं भी निष्क्रिय कों जाते हैं वो कहावत सही कही गयी है -
कुत्ते भौंकते रहते हैं, हांथी मदमस्त चाल चलता रहता है |
(इस स्थिति में हाँथी बनना ही सहायक होगा |)
स्वच्छ भारत अभियान
रही बात स्वच्छता अभियान की तो, मुझे नहीं लगता की हमारा ये संकल्प कभी पूरा हो पायेगा क्योकि हममे से कुछ हैं जो बदलना ही नहीं चाहते |
आज भी आपको गाँवो में लोग ये कहते मिल जायेंगे कि-
"जो मजा सुबह सुबह खेत में करने में है वो घुसल्खाने में कहाँ"
आज भी जब ट्रेन से सफर करते समय मैं सुबह - सुबह लोगो कों पटरियों के आस पास शौंच करते देखता हूँ तो सच में एक प्रश्न हमेशा मन में उठता है कि क्या सोंचते होंगे विदेशी पर्यटक भारत के बारे में और फिर लगता है हाँ सच में ....
स्वच्छ भारत अभियान एक कल्पना मात्र है |
(एक परिषदीय शिक्षक)
स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखाते गाँव
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Oleh
Harshit