माननीय,
मुख्यमंत्री जी
उत्तर प्रदेश
आपको बताने वालो ने सिर्फ शिक्षकों की छुट्टी के बारे मे अवगत कराया औैर विभागों की छुट्टी या उनके कृत्य के बारे मे पर्दा डालने का कुत्त्सित प्रयास किया है ।
शिक्षक किन परिस्थितियों मे कार्य कर रहा है इसका अंदाजा भी नहीं है उन्हे । ज्यादातर कार्यालय मे शनिवार और रविवार को बंद रहते है और उन्हे 33 दिन ई.एल(Earned leaves).और 14 दिन का सी.एल.(Casual leave) दिया जाता है हम शिक्षकों को वही सुविधायें मेडिकल व्यवस्था ,और यात्रा भत्ता ,इत्त्यादि मुहैया कराया जाये। हमे नहीं चाहिये महा पुरुषों की जयंती पर अवकाश।
समीक्षा – परिषदीय शिक्षक और बैंक कर्मियों की छुट्टियों की |
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बैंक कर्मी | प्राथमिक शिक्षक | |
Casual Leave | 12 (एक साथ 4 अधिकतम) |
14 (एक साथ 3 अधिकतम) |
Earned Leave | 33 | 0 |
National Leave(Including Saturday) | 48 | 35 (महापुरुषों की 15 जयन्ती हटाकर) |
कुल | 93 | 49 |
Summer Vacation (वैसे ये छुट्टियाँ अब शिक्षक के लिए रहे नहीं पर फिर भी अगर,जोंडे तो..) |
0 | 40 (20 मई से 30 जून) |
कुल | 93 | 89 |
नोट- यह सिर्फ एक मोटा-मोटा आकड़ा है, इसमें कोई त्रुटि हो तो कृपया कमेन्ट करे | | ||
समीक्षा - शिक्षकों और बैंक कर्मियों कों मिलने वाली सुविधाओ पर एक नजर |
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बैंक कर्मी | प्राथमिक शिक्षक | |
मेडिकल कार्ड | हाँ | नहीं |
यात्रा भत्ता | हाँ | नहीं |
Left casual leaves added to the next year |
हाँ | नहीं |
एक देश मे एक ही कानून फिर दोहरी व्यवस्था और सौतेला व्यवहार क्यों ?
हम परिषदीय होकर भी राज्य सरकार के ज़्यादातर विभाग के सभी कार्य हम अध्यापक करते है, अतः हमे भी राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाय और उन्हें मिलने वाली सभी सुविधाये भी हमे भी दी जाएँ।
विभाग के कार्यालयों मे व्याप्त भष्टाचार पर किसी की नजर नहीं पड़ रहीं है,
- स्थानांतरण से लेकर संशोधन ,
- चिकित्सीय अवकाश,
- मातृत्व अवकाश ,
- उपार्जित अवकाश ,
- चयन पत्रावली ,
- बोनस और एरियर
इत्यादि मे हर कार्य का रेट बँधा है ।
अध्यापकों का शोषण खुले आम हो रहा है, निरीक्षण का डर दिखा कर मानसिक, आर्थिक शोषण किया जाता है ताकि अध्यापक हो रहे शोषण के विरुद्ध आवाज ना उठा सके।
जब शिक्षक स्वस्थ चित्त नहीं है , तो वह शिक्षण मे रुचि कैसे लेगा?
जब कुछ लोग सुविधा शुल्क देकर खुले आम गणेश परिक्रमा करेगे और सही कार्य करने वालो को 10 मिनट विलम्ब पर कार्यवाही का धौंस और आर्थिक शोषण से वह भी उसी धारा मे जुड़ जाता है,
इस तरफ़ सी.एम.साहब का ध्यान क्यों नहीं दिलाया जाता है ?
शिक्षक बिना किसी मानसिक पीडा के स्वस्थ चित्त सिर्फ शिक्षण कार्य करना चाहता है । उसे बहुत अवकाश की आवश्यकता नहीं है और जितने अवकाश देय है, वह बिना सुविधा शुल्क के ऑनलाईन कर दिया जाये और सिर्फ गुणवत्ता की जाँच हो और दण्डित नहीं बल्कि उनको सुझाव और उनकी समस्या का निदान करते हुये उनके मनोबल को बढ़ाने का प्रयास करे। अवश्य सुधार होगा।
भय से हर कार्य कराया जा सकता है ,परन्तु अध्ययन और अध्यापन नहीं !
माननीय सी.एम.साहब से मार्मिक अपील है हमारी भी सुने और फिर स्वयंमेव जो भी आदेश करेगे शिरोधार्य है ।
(एक परिषदीय शिक्षक)
शिक्षकों की छुट्टियाँ - समाज में व्याप्त एक भ्रम
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Oleh
Harshit