गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

गुरु थे, कर्मचारी हो गए हैं ।


गुरु थे, कर्मचारी हो गए हैं ।
दांतों फंसी सुपारी हो गए हैं ।।
महकमा सारा हमको ढूँढता है।
हम संक्रामक बीमारी हो गए हैं ।।
इसे चमचागिरी की हद ही कहिये।
कई शिक्षक अधिकारी हो गए हैं ।।
अकेले चार सौ को हैं नचाते।
हम टीचर से मदारी हो गए हैं ।।
उन्हें अब चाॅक डस्टर से क्या मतलब ।
जो ब्लॉक/संकुल प्रभारी हो गए हैं ।।
कमीशन इसमें,उसमें, इसमें भी दो।
हम दे-दे कर भिखारी हो गए हैं ॥
मिला है एम डी एम का चार्ज जबसे ।
गुरुजी भी भंडारी हो गए हैं ॥
बी ई ओ ऑफिस को मंदिर समझ कर ।
कई टीचर पुजारी हो गए हैं ॥
पढ़ाने से जिन्हें मतलब नहीं है ।
वो प्रशिक्षण प्रभारी हो गए हैं ॥
खटारा बस बनी शिक्षा व्यवस्था ।
और हम लटकी सवारी हो गए हैं ।।

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